नीचे भागवद गीता के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण (Quotes) हैं जो पहले संस्कृत में हैं और उनका हिंदी में अनुवाद किया गया है :
यदा, यदा, हि, धर्मस्य, ग्लानिः, भवति, भारत,
अभ्युत्थानम्, अधर्मस्य, तदा, आत्मानम्, सृजामिहम्।।
(भागवत गीता: अध्याय चार पद 7)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: जब जब भी और जहां जहां भी, हे अर्जुन, पुण्य / धर्म की हानि होती है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब तब मैं अवतार लेता हूँ "अभ्युत्थानम्, अधर्मस्य, तदा, आत्मानम्, सृजामिहम्।।
(भागवत गीता: अध्याय चार पद 7)
परित्राणाय, साधूनाम्, विनाशाय, च, दुष्कृृताम्,
धर्मसंस्थापनार्थाय, सम्भवामि, युगे, युगे।।
(भागवत गीता: अध्याय चार पद 8)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: साधु लोगों का उद्धार करने के लिये ओर बुरे कर्म करने वाले लोगों का विनाश करने के लिये और धर्म की संस्थापना करने के लिए, मैं युग - युग में अवतरित होता हूं
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन,
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
(भागवत गीता: अध्याय दो पद 47)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: तुम्हें अपने निर्धारित कर्तव्य का पालन करने का अधिकार है, लेकिन तुम कर्मों के फल के हकदार नहीं हो। इसलिये तुम कर्मों के फल हेतु मत हो तथा तुम्हारी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो "
न जायते, म्रियते, वा कदाचित् न अयम्, भूत्वा, भविता वा न, भूयः
अजः नित्यः शाश्वतः अयम्, पुराणः न, हन्यते, हन्यमाने, शरीरे।।
(भागवत गीता: अध्याय दो पद 20)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: आत्मा ना पैदा होती है और न ही किसी भी समय मरती है। आत्मा न उत्पन्न होकर फिर होने वाली ही है, क्योंकि आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वतः, सनातन और पुरातन है। शरीर के मारे जाने पर भी आत्मा नहीं मरती ।।"
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णतिः, नरः अपराणि,
तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि, अन्यानि संयाति, नवानि, देही।।
(भागवत गीता: अध्याय दो पद 22)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: एक इंसान जैसे पुराने वस्त्रों को त्यागकर नये वस्त्रों को ग्रहण करता है वैसे ही जीवात्मा पुराने जीर्ण शरीर को त्याग कर नये शरीर को प्राप्त होती है।।"
नैनं छिन्दन्ति, शस्त्राणि, नैनं दहति, पावकः,
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।
(भागवत गीता: अध्याय दो पद 23)
"श्री कृष्ण भगवान ने कहा: आत्मा किसी भी शस्त्र से नहीं काटी जा सकती है, और न ही आत्मा को आग जला सकती है, इसको जल नहीं गला सकता है और वायु आत्मा को नहीं सूखा सकती है।।"
Jai Shri Krishna
I am highly enlightened to read srimad Bhagwat Gita verses. Lord Krishna really is ruling my heart and i am overwhelmed by each word uttered by my beloved God.
ReplyDelete